नाट्यगीते २
६. | संगीत मानापमान - कृ. प्र. खाडिलकर - १२ मार्च १९१० |
माता दिसली -(सिंदुरा) चंद्रिका ही जणू -(अरबी) या नव नवल नयनोत्सवा -(खमाज) खरा तो प्रेमा -(पहाडी) दे हाता शरणागता -(पिलू) युवतीमना दारुण रण रुचिर प्रेमसे -(हंसध्वनी) मला मदन भासे हा - (पहाडी) शूरा मी वंदिले -(शामकल्याण) भाली मी चंद्र असे धरिला -(जिल्हा - जंगला) रवी मी चंद्र कसा मग मिरवितसे -(तिलक कामोद) प्रेमसेवा शरण - (भीमपलास/मुलतानी) |
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७. | संगीत स्वयंवर - कृ. प्र. खाडिलकर - १० डिसें. १९१६ |
नाथ हा माझा -(यमन) मम आत्मा गमला -(बिहाग) सुजन कसा मन चोरी -(भूप) रूपबली तो नरशार्दुल - (काफी) स्वकुल तारक सुता -(भीमपलास) नरवर कृष्णासमान -(पहाडी) करीन यदुमनी सदना -(जंगला) मम सुखाची ठेव - (तिलक कामोद) |
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८. | संगीत द्रौपदी - कृ. प्र. खाडिलकर - १९ डिसें. १९२० |
थाट समरीचा दावी नट -(हमीर) धर्ममया ही काया -(जिल्हा -खमाज) ठरला जणु मत्सरराजा -(बागेश्री) विराट ज्ञानी- (पहाडी) |
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९. | संगीत विद्याहरण- कृ. प्र. खाडिलकर - ३१ मे १९१३ |
सुर सुखखनी तू विमला -(किरवाणी) मधुमधुरा तव गिरा - (जिल्हा खमाज) मधुकर वनवन फिरत करी - (देस सोरट) विमल अधर निकटी मोह हा पापी - (हमीर) अता राग देई मना शांततेला - (बागेश्री) |
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१०. | संगीत पुण्यप्रभाव - राम गणेश गडकरी - ७ जून १९१६ |
नाचत ना गगनात नाथा | |
११ | संगीत भावबंधन - राम गणेश गडकरी - १८ ऑगस्ट १९१९ |