अकौंटिंग भाग ३ - अकौंट प्रकार व जर्नल एन्ट्री

Parent Category: मराठी उद्योग Category: उद्योग Written by सौ. शुभांगी रानडे

पर्सनल अकौंट - एखाद्या व्यक्तीच्या वा संस्थेच्या खात्याला पर्सनल अकौंट असे  म्हणतात. म्हणजे माल पुरवठादार (सप्लायर्स) व ग्राहक (कस्टमर्स, सेल पार्टी), कर्मचारी यांची खाती या प्रकारात मोडतात.

रीअल अकौंट - दुकान वा फॅक्टरीची जागा, इमारत, फर्निचर, मशिनरी, वाहने इत्यादी खात्यांना रीअल अकौंट असे म्हणतात. कॅश अकौंट याच प्रकारात मोडते. जे आपल्या व्यवसायात येते त्याची नोंद डेबिटला व जे व्यवसायातून बाहेर जाते त्याची नोंद  क्रेडिटला केली जाते. म्हणजे समजा ५००० रुपयांचे कपाट विकत घेतले. तर फर्निचर अकौंटला ५००० रु. डेबिट तर कॅश खात्याला ५००० रु. क्रेडिट अशी नोंद केली जाते.

नॉमिनल अकौंट्स - इन्कम व एक्स्पॆंडिचरच्या खात्यांना नॉमिनल अकौंट्स असे म्हणतात. दुकानाचे भाडे, टेलिफोन वा वीज बिल, कमिशन, सॅलरी, टॅक्स इत्यादी खाती नॉमिनल अकौंट्स या प्रकारात मोडतात. यातील व्यवहारांची नोंद करताना खालील नियम वापरतात.
१. सर्व प्रकारचे खर्च व लॉसेस दर्शविणार्‍या खात्यांच्या डेबिट तर कॅशच्या क्रेडिट बाजूला नोंद करणे. उदा. वीज बिल भरणे, सॅलरी देणे
२. सर्व प्रकारचे इन्कम  व फायदे दर्शविणार्‍या खात्यांच्या क्रेडिट   तर कॅशच्या डेबिट बाजूला नोंद करणे. उदा. मिळालेले कमिशन, इन्कम टॅक्स रिटर्न,

जर्नल - रोजच्या सर्व आर्थिक व्यवहारांची नोंद जर्नल मध्ये केली जाते. याला रोजकीर्द असेही म्हणतात. व्यवहारांची व्याप्ती मोठी असेल तर कॅशबुक, बँकबुक, पर्चेसबुक, सेलबुक अशा वेगवेगळ्या वह्यांत त्यांची नोंद केली जाते. जर्नलमध्ये करावयाची नोंद खालीलप्रकारे करतात.
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दिनांक, पर्टिक्युलर्स, खाते पान नंबर, डेबिट रक्कम, क्रेडिट रक्कम
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पर्टिक्युलर्समध्ये डेबिट खात्याचे नाव  लिहून खालच्या ओळित क्रेडिट खात्याचे नाव लिहितात.
उदा.    गुड्स अकौंट  ( डेबिट)
          टू कॅश अकौंट  ( क्रेडिट)

५ जुलै २०१३ ला ५००० रु. चे कपाट रोख रक्कम देऊन घेतले तर त्याची नोंद खालीलप्रकारे करता येईल
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दिनांक,     पर्टिक्युलर्स,                   खाते पान नंबर,   डेबिट (रक्कम),     क्रेडिट (रक्कम)
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५-७-२०१३    फर्निचर अकौंट  ( डेबिट)         १३              ५०००रु.
                  टू कॅश अकौंट  ( क्रेडिट)                २                                              ५०००रु.   
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येथे कॅश अकौंटचा लेजरबुकमधील पान नंबर २ तर फर्निचर अकौंटचा लेजरबुकमधील पान नंबर १३ आहे असे गृहीत धरले आहे.

 जर्नल एन्ट्रीवरून आपल्याला रोजच्या वा ठरविक कालावधीत झालेल्या आर्थिक व्यवहारांची माहिती मिळाली तरी त्यातून प्रत्येक खात्याची स्वतंत्र संकलित माहिती मिळत नाही. यासाठी जर्नल एन्ट्रीवरून प्रत्येक खात्याची माहिती लेजरबुकच्या वेगळ्या पानावर लिहिली जाते यालाच लेजर पोस्टींग असे म्हणतात.
 
जर्नल बुक एन्ट्री - जर्नलबुकमध्ये प्रत्येक खात्यासाठी डेबिट  व क्रेडिट अशा दोन बाजू असतात. त्यातील प्रत्येक बाजूला   खालीलप्रमाणे माहिती लिहिली जाते.
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             खात्याचे नाव  ---फर्निचर अकौंट                              पान नंबर १३   
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                        डेबिट                                                           क्रेडिट
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दिनांक, पर्टिक्युलर्स, जर्नल पान नंबर,  रक्कम   |   दिनांक, पर्टिक्युलर्स, जर्नल पान नंबर,  रक्कम
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